ज़िंदगी शायरी - जब लफ़्ज़ों में उतर आई ज़िंदगी ज़िंदगी… एक सफर है, कभी आसान तो कभी बेहद मुश्किल। हर मोड़ पर एक नया सबक, हर रास्ते पर कुछ अधूरी तलाश। कुछ लम्हें हमें मुस्कराते हैं, तो कुछ दिल को तोड़ जाते हैं। लेकिन फिर भी, हम चलना नहीं छोड़ते। क्योंकि ज़िंदगी का नाम ही तो है — चलते जाना। --- 1. वो लम्हे भी क्या खूब थे जब कुछ भी न था, फिर भी दिल हर बात पे मुस्कुराया करता था। अब सब कुछ है, मगर वो सुकून नहीं, ज़िंदगी अब बस दिखावे में सिमट कर रह गई है कहीं। --- 2. हर रोज़ एक नया चेहरा मिलता है, हर मुस्कान के पीछे दर्द छिपा होता है। ज़िंदगी से कौन हारना चाहता है? मगर कब तक खुद को समझाना अच्छा होता है? --- 3. कभी खुद से भी मिलने बैठो, सवाल करना सीखो, ज़िंदगी का असली मतलब तब समझ आता है। जब तुम बिना शोर के भी खुद से बातें करने लगो। --- 4. थक जाओ तो बैठो ज़रा, मगर हार मत मानो, ये ज़िंदगी है — ठहर गई तो गुजर जाएगी। हौसला रखो, सुबह फिर से आएगी, हर अंधेरी रात के बाद रौशनी छा ही जाती है। --- 5. ज़िंदगी सिर्फ जीने का नाम नहीं, ये महसूस करने का एहसास है। कभी खुशी, कभी ग़म — यही तो इसकी खास बात ...